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गोरखपुर

एससी/एसटी के तहत दो प्रोफेसर्स पर दर्ज हुआ केस

दलित शोध छात्र की फिर तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

गोरखपुरSep 25, 2018 / 02:20 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

DDU convocation

डीडीयू

जाति की वजह से उत्पीड़न का शिकार दलित शोध छात्र के मामले में विवि के दोनों आरोपी शिक्षकों पर एससी/एसटी के तहत भी केस दर्ज किया गया है। पुलिस की इस कार्रवाई को विवि शिक्षक संघ ने एकतरफा कार्रवाई करार दिया है। उधर, पीड़ित शोधार्थी को फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सोमवार को उसकी तबीयत खराब होने के बाद जिला अस्पताल लाया गया जहां डाॅक्टर ने उसे मेडिकल काॅलेज रेफर कर दिया। एक दिन पहले ही शोधार्थी को मेडिकल काॅलेज से डिस्चार्ज किया गया था।
सोमवार को इस मामले में जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर के लिए छात्रों ने विवि गेट पर प्रदर्शन किया। समाजवादी छात्र सभा, पूर्वांचल सेना सहित विभिन्न छात्र संगठनों के छात्र इस धरना-प्रदर्शन में शामिल रहे। प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने मांग किया कि दलित शोध छात्र के आत्महत्या के प्रकरण में आरोपी शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।
छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पहुंचे कुलपति प्रो.वीके सिंह ने कहा कि जांच के बाद जो भी कार्रवाई होगी वह किया जाएगा।
कुलपति ने उकसाने वाले छात्रनेताओं के खिलाफ कार्रवाई को कहा

विवि छात्रावास के रविवार को छात्रनेताओं और छात्रावासियों के प्रकरण में कुलपति ने सोमवार को शिकायत मिलने के बाद एसएसपी से फोन पर बात की। कुलपति ने एसएसपी को फोन कर विवि छात्रावास में जबरिया प्रदर्शन के लिए उकसाने वाले छात्रनेताओं की गिरफ्तारी के लिए कहा। आरोप है कि रविवार की रात में विवि के कुछ छात्रनेता जबरिया विवि के हाॅस्टल में पहुंचे। ये लोग छात्रों से इस प्रकरण में सोमवार को प्रदर्शन में आने का दबाव बना रहे थे। कुछ छात्रों ने प्रदर्शन करने से मना कर दिया तो ये लोग मारपीट पर उतारू हो गए और पिस्टल सटाकर जान से मारने की धमकी दी थी। इस मामले में छात्रावास के छात्र की तहरीर पर विवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अमन यादव, छात्रनेता भास्कर चैधरी के खिलाफ केस दर्ज भी कर लिया है।
यह है मामला
विवि के दर्शन विभाग के शोध छात्र दीपक कुमार ने तीन दिन पहले आत्महत्या की कोशिश की थी। दलित वर्ग से आने वाले शोध छात्र दीपक कुमार का आरोप था कि विभागाध्यक्ष प्रो.द्वारिका प्रसाद व प्रो.सीपी श्रीवास्तव द्वारा आए दिन उनके जाति को लेकर टिप्पणी करते हैं और उत्पीड़न करते हैं। कुलपति से भी इस बाबत शिकायत की लेकिन कोई हल नहीं निकला। उल्टे कुलपति से शिकायत करने के बाद उनको जान से मारने की धमकी मिली। बाकायदा सोशल मीडिया पर अपने बयान का वीडियो अपलोड कर दीपक ने जहरीला पदार्थ खाकर जान देने की कोशिश की। आनन फानन में उसके साथियों ने जिला अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद उसे मेडिकल काॅलेज रेफर कर दिया गया। दलित शोध छात्र के आत्महत्या की कोशिश के बाद विवि प्रशासन जागा। पहले मामले में अनभिज्ञता जता रहे प्रशासन ने देर रात में विभागाध्यक्ष को हटाने की कार्रवाई करने के साथ तीन सदस्यीय जांच कमेटी का भी गठन कर दिया। हालांकि, कुछ ही देर में विवि में इस प्रकरण में नया मोड आ गया। आरोपी दोनों शिक्षकों ने अपने ही विभाग के एक शिक्षक पर उस छात्र को मोहरा बनाने का आरोप लगा दिया। इनका आरोप था कि विभागीय शिक्षक ने शोध छात्र के साथ मिलकर दोनों शिक्षकों को फंसाने की साजिश रची है। उक्त शिक्षक के कहने पर ही शोध छात्र ने जहरीला पदार्थ खाया।
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